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रागी का आटा, नाचनी का आटा क्या है ? ग्लॉसरी | इसका उपयोग | स्वास्थ्य के लिए लाभ | रेसिपी |

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रागी आटा, नाचनी आटा क्या है? शब्दावली | लाभ | उपयोग | व्यंजन विधि | What is ragi flour in Hindi?

 

रागी का आटा, जिसे नाचनी का आटा के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय भोजन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह फिंगर मिलेट (finger millet) नामक अनाज से बनता है और अपनी पौष्टिक गुणों के कारण इसे "सुपर ग्रेन" के रूप में मान्यता मिली है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में इसे अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है, जैसे कर्नाटक में 'रागी', महाराष्ट्र और गुजरात में 'नाचनी', तमिलनाडु में 'केल्वारागु' या 'केप्पई', आंध्र प्रदेश में 'रागुलु', और ओडिशा में 'मंडिया'। इसका हल्का मिट्टी जैसा स्वाद होता है और यह ग्लूटेन-मुक्त होता है, जो इसे कई आहार आवश्यकताओं के लिए उपयुक्त बनाता है।

 

पूरे भारत में रागी के आटे का उपयोग व्यापक रूप से होता है, खासकर दक्षिणी राज्यों में जहां यह एक प्रमुख आहार है। इसका उपयोग विभिन्न प्रकार के पारंपरिक और आधुनिक व्यंजनों में किया जाता है। रागी रोटी या नाचनी भाकरी एक आम तैयारी है, खासकर महाराष्ट्र और कर्नाटक में, जहाँ इसे अक्सर दोपहर या रात के भोजन में खाया जाता है। इसे कभी-कभी गेहूं के आटे के साथ मिलाकर भी रोटियां बनाई जाती हैं ताकि उन्हें नरम बनाया जा सके।

 

रागी डोसा और रागी इडली दक्षिण भारत में बहुत लोकप्रिय हैं, जो पारंपरिक चावल और दाल के डोसा/इडली का एक स्वस्थ विकल्प प्रदान करते हैं। इसके अलावा, रागी माल्ट बच्चों और वयस्कों दोनों के लिए एक पौष्टिक पेय है, जो ऊर्जा और आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है। रागी दलिया (पोरिज) भी सुबह के नाश्ते के लिए एक बेहतरीन विकल्प है, जिसे दूध, गुड़ या छाछ के साथ परोसा जाता है।

 

रागी का आटा बाजार में आसानी से उपलब्ध है। यह किसी भी स्थानीय किराना स्टोर, सुपरमार्केट और ऑनलाइन खुदरा विक्रेताओं पर आसानी से मिल जाता है। इसकी बढ़ती लोकप्रियता और स्वास्थ्य लाभों के बारे में बढ़ती जागरूकता के कारण, अब यह पूरे भारत में हर जगह उपलब्ध है, जिससे उपभोक्ता इसे आसानी से अपने आहार में शामिल कर सकते हैं। यह विभिन्न ब्रांडों और पैकेजों में उपलब्ध है, जिससे उपभोक्ताओं के पास चुनने के लिए कई विकल्प होते हैं।

 

रागी के आटे के स्वास्थ्य लाभ कई हैं। यह कैल्शियम का एक उत्कृष्ट स्रोत है, जो हड्डियों को मजबूत बनाने और ऑस्टियोपोरोसिस को रोकने के लिए महत्वपूर्ण है। यह फाइबर से भरपूर होता है, जो पाचन में सहायता करता है, कब्ज से राहत देता है और वजन प्रबंधन में मदद करता है क्योंकि यह लंबे समय तक पेट भरा रखता है। इसके अलावा, यह आयरन का भी अच्छा स्रोत है, जो एनीमिया से लड़ने में मदद करता है, और इसमें पॉलीफेनोल्स जैसे एंटीऑक्सिडेंट भी होते हैं जो शरीर को मुक्त कणों से होने वाले नुकसान से बचाते हैं।

 

अपनी कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स के कारण, रागी मधुमेह रोगियों के लिए भी एक अच्छा विकल्प माना जाता है, क्योंकि यह रक्त शर्करा के स्तर को धीरे-धीरे बढ़ाता है। इसमें प्रोटीन और आवश्यक अमीनो एसिड भी होते हैं, जो इसे शाकाहारियों और शाकाहारी आहार का पालन करने वालों के लिए एक मूल्यवान खाद्य स्रोत बनाते हैं। कुल मिलाकर, रागी का आटा एक पोषक तत्वों से भरपूर, आसानी से उपलब्ध और बहुमुखी अनाज है जिसे भारतीय व्यंजनों में विभिन्न तरीकों से शामिल किया जा सकता है, जिससे स्वाद और स्वास्थ्य दोनों का लाभ मिलता है।

 

 

रागी का आटा, नाचनी का आटा चुनने का सुझाव (suggestions to choose ragi flour, nachni flour, nachni ka atta, red millet flour)

 

• रागी का आटा विभिन्न आकार के पेकेट में किराने की दुकानों में आसानी से मिलता है।

• रागी का आटा साफ, धूल से मुक्त और बिना किसी कीड़े या गंध के होना चाहिए।

 

 

 

रागी का आटा, नाचनी का आटा के उपयोग रसोई में (uses of ragi flour, nachni flour, nachni ka atta, red millet flour in Indian cooking)

 

रागी के आटे का प्रयोग अकसर चपाती या रोटी बनाने के लिए किया जाता है जिसे सब्ज़ीयों के साथ परोसा जाता है। यह ग्लूटेन के प्रति संबेदशील के लिए उपयुक्त है।

 

• रागी के आटे का प्रयोग पॉरिज बनाने के लिए किया जाता है। रागी के आटे को पानी में अच्छी तरह पकाया जाता है और छाछ और नमक या दुध और शक्कर डालकर मिलाया जाता है।

• रागी पॉरिज या गाढ़े पॉरिज को फल, सूखे मेवे के साथ मिलाकर पौष्टिक नाश्ता बनाया जा सकता है।

• रागी के आटे से स्वादिष्ट डोसे बनाये जा सकते हैं, जिसे नारीयल की चटनी, साम्भर आदि के साथ परोसा जा सकता है, या अपने आप में ही मक्ख़न या घी के साथ परोसा जा सकता है। आप इस रोटी में कटे हुए प्याज़, कसे हुए गाजर, हरी मिर्च, अदरक, धनिया आदि मिलाकर इसका स्वाद बढ़ा सकते हैं।

• रागी के आटे से फ्लेट ब्रेड, मोटे या पतले डोसे, पॅनकेक आदि भी बनाये जा सकते हैं।

• आप पके हुए रागी के आटे को दुध और शक्कर या गुड़ के साथ मिलाकर स्वादिष्ट खीर बना सकते हैं, जिसे आप इलायची पाउडर, बादाम के कतरन और काजू से सजा सकते हैं।

• माल्टड रागी से बने आटे को दुध या दही के साथ मिलाकर शक्कर या नमक के साथ खाया जा सकता है।

• कर्नाटक में, रागी का आटा अकसर रागी बॉलस् (रागी मूडल) के रुप में खाया जाता है। मुड्डे, जिन्हें रागी के आटे को पानी के साथ पकाकर आटा गूंथा जाता है और बॉल बनाकर ज़रुरत अनुसार आकार में बनाकर घी, रसम, साम्भर, दाल या अन्य खाने के साथ परोसा जा सकता है।

• महाराष्ट्र में, रागी के आटे का प्रयोग कर एक प्रकार का फ्लॅट ब्रेड, भाकरी बनाया जाता है।

• गोवा में, रागी के आटे से बना मशहुर सातवा, पोल (डोसा), भाकरी, अम्बील (एक खट्टा पॉरिज) आम है।

 

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रागी का आटा, नाचनी का आटा संग्रह करने के तरीके 

 

• रागी के आटे को हवा बंद डब्बे में रखकर ठंडी और सूखी जगह पर रखें।

 

 

 

रागी का आटा, नाचनी का आटा के फायदे, स्वास्थ्य विषयक (benefits of ragi flour, nachni flour, nachni ka atta, red millet flour in hindi)

 

रागी का आटा  प्रोटीन में उच्च है और शाकाहारियों के लिए बढ़िया स्रोत है। यह लस मुक्त होने के अलावा, फाइबर युक्त है जो बदले में मधुमेह और दिल को स्वस्थ रखने के लिए अच्छा है। रागी का आटा गेहूं के आटे की तुलना में  रक्त शर्करा के स्तर में बहुत कम वृद्धि करता है। रागी मैग्नीशियम में समृद्ध है जो इंसुलिन प्रतिरोध को कम करके इंसुलिन प्रतिक्रिया को बेहतर बनाता है। अपने दैनिक आहार में शामिल करने के लिए रागी के 11 लाभ पढ़े ।

 


 

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