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अरारुट का आटा क्या है? शब्दावली, उपयोग, व्यंजन विधि

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अरारुट का आटा क्या है? शब्दावली, उपयोग, व्यंजन विधि

एरारोट का आटा (Arrowroot Flour) भारत में एक महत्वपूर्ण और बहुमुखी खाद्य सामग्री है, जिसे अक्सर "कोवा" या "अरालॉट" के नाम से भी जाना जाता है। यह एक उष्णकटिबंधीय पौधे (मरांथा अरुंडिनेसिया) के प्रकंदों (rhizomes) से प्राप्त किया जाने वाला एक स्टार्चयुक्त पाउडर है। भारतीय रसोई में, यह मकई के आटे (कॉर्नस्टार्च) के एक स्वस्थ और ग्लूटेन-मुक्त विकल्प के रूप में बहुत लोकप्रिय है। इसका कोई विशिष्ट स्वाद नहीं होता, जो इसे मीठे और नमकीन दोनों तरह के व्यंजनों में उपयोग करने के लिए आदर्श बनाता है।

 

भारत भर में एरारोट का उपयोग मुख्य रूप से एक गाढ़ा करने वाले एजेंट (thickening agent) के रूप में किया जाता है। सूप, ग्रेवी और सॉस को गाढ़ा करने के लिए यह बहुत प्रभावी है। इसकी एक खासियत यह है कि यह कम तापमान पर भी गाढ़ा हो जाता है और पकने के बाद पारदर्शी रहता है, जिससे व्यंजन का रंग प्रभावित नहीं होता। भारतीय घरों में इसका उपयोग अक्सर फराली (उपवास के दौरान खाए जाने वाले) व्यंजनों में किया जाता है, क्योंकि व्रत के दिनों में मकई का आटा या गेहूं का आटा वर्जित होता है।

 

एरारोट के आटे का उपयोग विभिन्न भारतीय व्यंजनों में होता है। उदाहरण के लिए, फराली कटलेट या फराली पैटीस बनाने में इसका उपयोग किया जाता है ताकि वे अच्छी तरह बंध सकें। दक्षिण भारत में, विशेष रूप से केरल में, कूवा कुरुक्कियाथु (एक प्रकार का हलवा) या कूवा काचियाथु (एक ऊर्जावर्धक पेय) बनाने में एरारोट का उपयोग होता है। यह गुलाब जामुन और घेवर जैसे मिठाइयों में भी थोड़ी मात्रा में मिलाया जाता है ताकि उनकी बनावट में सुधार हो और वे बिखरें नहीं।

 

एरारोट के आटे के कई स्वास्थ्य लाभ भी हैं, जिसके कारण यह भारतीय आहार में एक पसंदीदा विकल्प बन गया है। यह पचाने में आसानहोता है और बच्चों और बुजुर्गों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद माना जाता है। इसमें प्रतिरोधी स्टार्च (resistant starch) होता है जो पाचन में सुधार करता है और आंत के स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है। यह कब्ज और दस्त जैसी पाचन संबंधी समस्याओं से राहत दिलाने में भी मदद कर सकता है।

 

इसके अतिरिक्त, एरारोट विटामिन और खनिजों का एक अच्छा स्रोत है। इसमें विशेष रूप से विटामिन बी कॉम्प्लेक्स (जैसे फोलेट, नियासिन और राइबोफ्लेविन), पोटेशियम, लोहा और फॉस्फोरस जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व पाए जाते हैं। फोलेट गर्भावस्था के दौरान महत्वपूर्ण होता है, जबकि पोटेशियम रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है। यह ग्लूटेन-मुक्त होने के कारण सीलिएक रोग से पीड़ित लोगों या ग्लूटेन संवेदनशीलता वाले व्यक्तियों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है।

 

कुल मिलाकर, एरारोट का आटा भारतीय रसोई में सिर्फ एक गाढ़ा करने वाला एजेंट नहीं है, बल्कि यह एक पोषक तत्वों से भरपूर और बहुमुखी घटक है। इसके स्वास्थ्य लाभ और विभिन्न व्यंजनों में इसके उपयोग की क्षमता इसे भारतीय भोजन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाती है, जो पारंपरिक स्वाद को बनाए रखते हुए आधुनिक स्वास्थ्य आवश्यकताओं को भी पूरा करता है।

 

 

अरारुट का आटा चुनने का सुझाव (suggestions to choose arrowroot flour, arrowroot ka atta, paniphal flour)

 

• अरारूट का आटा बाज़ार मे आसानी से मिलता है।

• बारीक और सफेद आटा चुने, जो दिखने मे कॉर्न-स्टार्च जैसा दिखता है।

• अरारूट का आटा पहचानने के लिये, इसे पानी मे मिलाने से हल्की गंध आती है, हालाँकि जब यह सूखा होता है, इसमे किसी भी प्रकार कि गंध नही होती।

• कुछ उत्तपादक इसे अन्य स्टार्च (जैसे आलू) से मिलाते है, इसलिये, भरोसेमंद दुकानदार से ही खरीदें, क्योंकि मिले हुए अरारूट का प्रयोग करने आपका व्यंजन बिगड़ सकता है।

• कुश दुकानों में, अरारूट ताज़े साबूत जड़ के रुप मे मिलता है, जिसे तसी गू या चायनीज़ पटॅटो नाम दिया जाता है।

 

 

अरारुट का आटा के उपयोग रसोई में (uses of arrowroot flour, arrowroot ka atta, paniphal flour in cooking)

 

• इस स्टार्च का मुख्य रुप से खाने मे गाढ़ापन प्रदान करने के लिये किया जाता है, जैसे पुडिंग और सॉस।

• बहुत से व्यंजनो मे इसे कॉर्न-स्टार्च या आटे से बदला जा सकता है। 1 टेबल-स्पून आटे के लिये 1 टी-स्पून अररूट का आटा लगता है, और । 1 टेबल-स्पून कॉर्न-स्टार्च कि जगह 2 टी-स्पून अररूट का आटा प्रयोग किया जा सकता है।

• इस पाउडर व्यंजन मे डालने से पुर्व, ठंडे पानी मे मिलाना ज़रुरी होता है और इसे आखरी मे मिलाना चाहिए, क्योंकि इसे ज़्यादा पकाने से अरारूट कि जैल बनाने का गुण नष्ट हो सकता है। एक बार मिश्रण के ठंडे होने पर, आँच से तुरंत हठा लें, जिससे वह दुबारा पतला ना हो जाये।

• अरारूट कम तापमान पर गाढ़ापन प्रदान करता है, वहीं, आटे या कॉर्नस्टार्च का प्रयोग उच्च तापमान पर किया जाता है।

 

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• अन्य स्टार्च के विपरीत, अरारूट जमने पर पारदर्शी हो जाता है और व्यंजन के रंग को बदलता नही है।

• क्योंकि अरारूट बरस्वाद होता है, इसे किसी भी व्यंजन मे मिलाया जा सकता है।

• व्यंजन मे साबूत जड़ का भी प्रयोग किया जा सकता है। जड़ को उबालने या तलने से पहले, इसकि कागज़ जैसी परत को निकालना ज़रुरी होता है। इसका प्रयोग कर चिप्स् बनायी जा सकती है, जिसे नमक या मसालों से साथ मिलाया जा सकता है।

• बेक करते समय,इसका प्रयोग गाढ़ापन प्रदान करने के लिये किया जाता है जैसे फ्रूट पाई के भरवां मिश्रण औ र् ग्लेज़ में। इसका प्रयोग अरारूट कुकीस् बनाने मे भी किया जाता है। इससे चमकते फ्रूट जैली बना सकते है।

• अरारूट के आटे मे ग्लूटेन कि इसे गेहूँ के आटे से मुक्त बेक्ड व्यचजन मे प्रयोग के लिये उपयुक्त बनाता है।

• घर पर बनी आईस-क्रीम मे भी इसका प्रयोग किया जा सकता है, क्योंकि यह बर्फ जमने से रोकने मे मदद करता है।

• कोरियन पाकशैली मे अरारूट के नूडल्स बनाये जाते है। ान्य ओरीएन्टल पाकशैली मे इसका प्रयोग एसिडिक पदार्थ को गाढ़ा बनाने के लिये किया जाता है, जैसे स्वीट एण्ड सॉर सॉस आदि।

 

 

अरारुट का आटा संग्रह करने के तरीके 

 

• जड़ो कि फ्रिज मे रखें।

• अरारूट के आटे को हवा बंद डब्बे मे रखकर ठंडी और सूखी जगह पर रखें और नमी और सूर्य कि किरणो से दुर रखें।

 

 

 

 


 

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